पिछले एपिसोड में मालविका किचन की जिम्मेवारी खुद ले लेती है, वह अनुज और अनुपमा के लिए खाना बनाती है।
मालविका अपने भाई के लिए पैन केक बनाती है और उसे चखने को देती है।
मालविका की केक चखने के बाद अनुज ख्यालों में खो जाता है और उसे अनुपमा की बनाई गई केक याद आ जाती है।
यह बात सुनकर
मालविका
का पारा हाई हो जाता है। उसे लगता है कि भाई के दिल में उनकी जगह अब अनुपमा का चेहरा है।
यहां काफी शोर-शराबा होगा और वह घर का सामान बाहर फेंक देती है।
वह इतनी गुस्सा हो जाती है कि खुद शाह परिवार के साथ रहने चली जाती है। इधर अनुपमा और अनुज उसे ढूंढने में परेशान हैं।
मालविका के घर में एंट्री से वनराज तो खुश है लेकिन काव्या के होश उड़ चुके हैं। दूसरी तरफ वनराज अपने कैफे की जिम्मेदारी परितोष को सौंप चुका है।
काव्या पहले से ही परेशान थी कि वनराज उसे इग्नोर कर रहा है अब एक साथ एक ही छत के नीचे वे सब रहेंगे।
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